Sunday, July 19, 2015

Minaxi case in Delhi

Delhi में Minaxi नाम की लड़की को सरेआम, दिन के उजाले में दो भाई और उनकी माँ ने मिलकर मार डाला। हैरान और सोचने पर मजबूर करने वाली बात थी की Minaxi पर एक दो या पांच परब नहीं बल्कि 35 बार छुरी का वार किया था। लोग बस ऐसे देख रहे थे मानो उन्हें कुछ परवा ही न हो। शर्म आती है की वहा एक भी बचाने वाला नहीं मिला।

दर्द तो तब और भी बढ़ जाता है जब प्रदशन करने सेकड़ो लोग पहोंच जाते है। किसके खिलाफ प्रदशन कर रहे हो अरे बुजदिलो? शर्म आनी चाहिए ऐसे प्रदशन करते वक्त। अपने भीतर जाको जरा। भीड़ का हिसा बनाकर, पुलिस के पानी के प्रहार के सामने टिककर अपने आप को बहादुर समाज रहे है कुछ लोग। यही बहादुर पता नहीं किस बिल में छुप जाते है पता नहीं।

यही नहीं जब वो तीनो अपराधी Minaxi को मार रहे थे तब वो बचने के लिए एक घर में घुस गयी। उस घरवालो ने तो उसे लात मारकर निकाल दिया और मोत के मुख में धकेल दिया। मेरा तो मानना है की तीनो अपराधी के साथ साथ उन सभी को भी इस केस में अपराधी बनाना चाहिए।

माफ़ करना पर वो लोग जो अलग राजनीती की बात कर रहे थे आज वो ये कह कर दिल्ली पुलिस पर कब्जा चाहते है की हम दिल्ली पुलिस को सुधार देंगे। अरे भाई आप तो पॉलटिक्स में भी कुछ सुधर ने के लिए ही तो आए थे। अब आपके बयान भी शीला दीक्षित की तरह हो गए है। करना है तो एक काम करिए Arvindji अपने कार्यकर्ताओ को कहिए की ऐसे अपराध के समय उनका समाना करके दिखाए। बहोत देख लिए आपके धरने प्रदशन। और यही बात Congress और BJP भी समाज जाए तो अच्छा है।
मुझे लगता है इस देश में तब तक अपराध कम नहीं होंगे जब तक हमारी भीड़ वीर प्रजा बहादुर न बन जाए। आखिर में एक छोटी सी कहानी जो बहोत कुछ कहती है।

Germany में जब Hitler का राज था तब एक यहूदी के गांव में रोज हिटलर के सैनिक जाते और कुछ लोगों को मार डालते। एक यहूदी ये सब रोज देखता था और ये सोचकर खुश होता था की वो और उनका परिवार बिलकुल सुरक्षित है। एक दिन Hitler के सैनिक आते है और इस महासय को मारने के लिए उठाते है। वो काफी चिलता है की कोइ उसकी मदद कर दे। पर अफसोस कोइ नहीं आता।

जय हिन्द।

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