कहते है भीड़ का दिमाग नहीं होता, पर पिछले कुछ दिनों में जो घटनाए सामने आई है, उससे तो यही लगता है की भीड़ का दिल भी नहीं होता। पता नहीं इतने बेदर्द कैसे हो जाते है ये लोग, की हम फर्क भी न कर पाये के यह इंसानो का झुण्ड है या फिर जानवरो का!
अभी जो एक घटना सामने आई है वो बिहार के नालंदा की है। यहाँ एक स्कुल में दो बच्चों की मोत हो गयी। जैसे ही लोगों को पता चला पहोच गए स्कूल पे। आचार्य से कुछ कहा सुनी होने के बाद भीड़ ने आचार्य को खूब पीटा। डंडे, घुसे, पैर जिसे जो मन में आया हाथ साफ कर लिया। और थोड़ी देर बाद उस आचार्य की मोत हो गयी।
असली कहानी बाद में सुरु होती है। जब दोनों बच्चों का पोस्टमॉर्टम हुआ, तो पता चला की उन दोनो बच्चों की मोत पानी में डुबने से हुयी थी।
ऐसी घटनाए पुरे देश में रोज बरोज घटती होगी पर कुछ ही सामने आती है। पता नहीं हमारे देश के लोगो को क्या हो गया है। जहा बहादुरी दिखाने की जरुरत होती है वहा ज्यादातर लोग चूहे की तरह बिल में घुस जाते है।
जैसे की एक टीवी चैनल ने थोड़े दिनों पहले एक प्रयोग किया था। एक कार में चीखती हुई लड़की की ऑडियोनो टेप चला के रखी थी। पास से गुजर ने वाले लोको का रिएक्शन कैमरे में कैद किया गया। दस में से एक के अनुपात में ही लॉग बचाने के लिए आगे आए। कुछ लोग हँसते हुए निकल गए और कुछ इसलिए भाग गए की किसी बवाल में नहीं पड़ना चाहते थे। पता नहीं कहा चली जाती है ऐसे वक्त में ऐसी बहादुरी? कहा चला जाता है वो जानवरो का झुण्ड? जो किसी की जान लेने से भी खचकाते नहीं, यह जाने बिना की उसने गुनाह किया है या भी नहीं? किया है तो क्या इतना बड़ा गुना है जो उसे मार दिया जाये? या फिर ये सब कौन होते है इंसाफ करने वाले?
कई सारे सवाल मन में उठते है जब ऐसी घटनाए घटती है।
हम सब को एक चीज का तो अनुभव होगा ही। जब कभी हम बाइक या कार लेके जा रहे हो और अचानक से कोइ लड़की या महिला आपसे आके टकरा जाए तो यकीन मानिये आपकी तो सामत आ जायेगी। चाहे आप की गलती न भी हो। क्योंकि भीड़ को लगता है गलती आपकी ही होगी। भीड़ पूर्वग्रह से पीड़ित होती है। इस लिए वो सही गलत का फैसला नहीं कर पाती।
ये भीड़ का अँधा कानून है जो गूंगा, बहरा, बेदर्द और अँधा होता है। हम ऐसे किसी भीड़ का हिस्सा न बन जाये यह बस खयाल रखे।
आप किसी भी सभ्य समाज वाले देश को देखले। जब भी किसी नागरिक को कोइ घटना गैर क़ानूनी लगती है तो वो तुरंत पुलिस का संपर्क करते है। अपनी जवाबदेही बखूबी अदा करते है वह लोग। हम भी अपनी जवाबदेही समजे। कभी भी कुछ गलत होता हुआ देखे या फिर कोइ भीड़ को अत्याचार करते हुए देखे तो तुरंत पुलिस को खबर करे। हो सकता है आप भी कभी किसी भीड़ के अंधे कानून का शिकार बन जाये! इस लिए सतर्क रहे और दुसरो की मदद करे।
आपके विचार जरूर बताए। धन्यवाद।