इससे पहेले की आप हेडिंग पढ़के कुछ राय बना ले,और सोचे की में भी अवोर्ड वापस करने वाला कोइ लेखक हु तो पहले मेरा पूरा लेख जरुर पढ़ ले। ना ही मेरे पास कोई अवोर्ड है और ना ही में उतना महान लेखक या कलाकार हु।
तो में ये बताऊ की क्यों और किस लिए हमारा देश असहिष्णु है इस से पहले आपको एक घटना बताना चाहूँगा।
बस कुछ दिनों पहेले की ही बात है। में अपने मामा के घर गया था। थोड़ी देर बाद मुझे किसी ने बोला की तेरे गाव की एक लड़की यहाँ ससुराल में है और तुजे चाय पीने के लिए उसने बुलाया है। मेने पता किया तो मालूम पड़ा की वो मेरे गाव की मुस्लिम लड़की है जिसे में ठीक से जानता भी नहीं। पर वो मुझे थोडा बहोत पहचानती थी और क्योंकी हम एक गाव से थे तो स्वाभाविक था उसने अपना भाई समज के बुलाया होगा।
अब मेरी एक उलजन थी। हमारे यहाँ गुजरात में अगर कोई भी व्यक्ति कही भी महमान बनकार जाते है तो ‘जय श्री कृष्णा’ बोलते है। तो में वहा पर जा कर उनके ससुराल वालो के सामने में क्या बोलूँगा? ये मेरी उलजन थी, क्योंकी इससे पहेले में कभी महमान बनकर कभी किसी मुस्लिम परिवार के यहाँ नहीं गया था।
जब में वहा पंहुचा तो एक बड़ी उम्र के दादा वहा बिलकुल गुजराती कठियावाडी कपडे पहने बेठे हुए थे और माथे पे पघडी थी। मेने सोचा कोई पड़ोस वाले दादाजी होंगे सायद। उसने ‘जय श्री कृष्ण’ कह के मेरा स्वागत किया। थोड़ी देर बाद बातचीत करने के बात पता चला की उस दादाजी का नाम हुसैनभाई है और वो हमारे गाव की लड़की के ससुरजी थे।
तो ये है मेरे देश की सहिष्णुता। यहाँ पर लोग काफी मिलजुलकर रह रहे है। पता नहीं किसको यहाँ लोगो के बिच असहिष्णुता दिखाइ पड़ती है?
आप सोचेंगे की अरे भाई! आपने ही लिखा है अपना हेडिंग! ठीक ही लिखा है। पर कैसे? चलो में समजाता हु।
जिन जिन लोगो ने अपने अवोर्ड वापिस लोटाए है उसने असहिष्णुता का आधार या यु कहे की पैमाना उत्तर प्रदेश में हुयी एक हत्या को माना है। वो हत्या तो काफी निंदनीय है। पर क्या ये सही है की उस हत्या को पैमाना बना कर भारत को असहिष्णु घोषित कर दिया जाए? बिलकुल नहीं।
भारत अगर सही मायने में असहिष्णु है तो वो प्यार करने वालो के प्रति है। अगर हत्या ही पैमाना है तो न जाने अब तक कितने मासूम प्यार करने वाले ओनर किलिंग की भेट चढ़ गए है। किसी लेखक या कलाकार को ये असहिष्णुता क्यों नहीं दिखाई देती? क्यों की इसका कोइ राजनेतिक फायदा या लिंक नहीं है इस लिए? कितने जोड़े समाज या परिवार के डर से आत्महत्या कर लेते है। वो किसी को क्यों दिखाइ नहीं देता? जवाब बिलकुल आसान है। इस मुदे में न ही कोई राजनितिक रंग दे सकते है और ना ही मोदी को घेर सकते है।
कुछ दिन पहले एक न्यूज चेनल में अनुपम खेर का इंटरव्यू चल रहा था। वो इस लिए की उसने सहिष्णुता मार्च निकली थी और उस पर उसके विचार जानने थे।
एक पत्रकार ने उनसे पूछा, “आप कहते है की इन लोगो ने अवोर्ड पहले की घटनाओ पे क्यों नहीं लोताए। तो सवाल आपसे ये बनता है की जब अन्ना आन्दोलन चला तो आप भी उसमे साथ थे। तो आपने ये सवाल तब क्यों नहीं उठाया की भ्रस्टाचार के खिलाफ आन्दोलन उस वक्त ही क्यों किया? भ्रस्टाचार तो पहले भी था।”
बड़ा अच्छा सवाल पूछा था उस पत्रकार मित्रने। पर उसका जवाब बिलकुल आसान है। उस वक्त आन्दोलन इस लिए करना पड़ा की भ्रस्टाचार ने पुराने सारे रिकोर्ड तोड़ दिए थे। हर रोज कोइ न कोई कौभांड अगले कौभांड की रेस में लगा हुआ था।
पर इस समय जो घटना घटी है वो निंदनीय तो है पर इतनी बड़ी तो कतई नहीं है के एक पुरे देश को असहिष्णु घोषित कर दिया जाए।
विरोध करना ही है तो प्यार करने वालो के प्रति जो असहिष्णुता है उसका करो। आपको उसमे आंसू क्यों नहीं आते? कहा जाती है आपकी भावनाए उस वक्त जब आप ऑनर किलिंग की घटनाओ को सुनते है?
माफ़ करना आप सब महान लेखक या कलाकार है। जैसे ध्रुतररा्स्ट्र अँधा तो था ही पर पुत्र प्रेम ने उसे और अँधा कर दिया था। आप वैसे मत बनिए प्लीज़।