Friday, November 25, 2016

कैशलेश होने के छह फायदे!

8 नवंबर को जब मोदीजी ने नॉट बंधी लागु की तब पुरे देश में एक ख़ुशी की लहर सी दौड़ गई, मानो हमने कोई युद्ध जित लिया हो। लेकिन यह सिर्फ युद्ध की शरुआत ही है, कालेधन के खिलाफ!

उस दिन से अब तक लोगो को काफी परेशानिया हो रही है। लेकिन यह कड़वी दवा हमारे लिए बहोत ही जरुरी है।

आज जब विकसित देश कैशलेश जिंदगी जी रहे है तब में आपको बताता हूं कि कैशलेश होने के हमें फायदे क्या है।

1. सुरक्षा: कभी भी हमारा पर्स या वॉलेट गिर भी जाए या फिर चोरी हो जाए बस एक कॉल करके आप अपना डेबिट या फिर क्रेडिट कार्ड बंद करवा सकते है। यानि आपके पास सुरक्षित रहेंगे।

2. डिस्काउंट: आप चाहे ऑनलाइन शॉपिंग करे या फिर अपना इलेक्ट्रिसिटी, डीटीएच या मोबाइल का बिल भरे या रिचार्ज करे आपको 5 से लेकर 20 % तक डिस्काउंट मिल सकता है।

3. हिसाब: आप अपने खर्चे के हिसाब को आसानी से ट्रेक कर सकते है, जो की रोकड़ व्यवहार में थोड़ा पेचीदा है।

4. लेनदेन : आप बिना बैंक गए बस अपने मोबाइल से आसानी से रुपए किसी को भी कही भी भेज सकते है। यानि आपका समय और खर्च दोनों बच जाएंगे।

5. बैंकिंग : आपको नई चेकबूक रिक्वेस्ट करनी हो या फिर कोई और काम हो आप बस एक अप्लीकेशन के जरिए कही भी बैठ कर के कर सकते है।

6. रिवॉर्ड पॉइंट्स: आप जितना ज्यादा ऑनलाइन पे करेंगे आपको उतने ज्यादा रिवॉर्ड पॉइंट्स पा सकेंगे, जिसे बाद में आप रकम में कन्वर्ट कर सकते है या फिर आपको कूपन मिल सकते है।

टिप: आप कभी भी आपका एटीएम पासवर्ड या अन्य पासवर्ड किसी से शेयर न करे, चाहे वो बैंक का कर्मचारी ही क्यों न हो। ऑनलाइन बैंकिंग काफी सुरक्षित है आप बस अगर यह ध्यान रखे तो।

यह सारे पॉइंट उन लोगो को सामान्य लगेंगे जो अभी कैशलेश व्यवहार कर रहे है, पर मेरी उन सारे दोस्तों से अपील है कि ये सारे पॉइंट उन लोगो तक पहोचाये जो लोग या तो जानते नहीं है या फिर डरते है।
एक नया भारत जल्द ही बनेगा।
धन्यवाद!!!

Sunday, February 21, 2016

JNU Students

मैंने कई एक्सपर्ट्स को टीवी चेनलो पे ये कहेते हुए सुना की सिर्फ नारे लगाना देशद्रोह नहीं हैा तो मेरा उन तथाकथित बुधिजिवियो से यह सवाल है की, की अगर कोई आपको जान से मारने की धमकी दे तो वह गुनाह नहीं बनता? डेफिनेटली वह गुनाह बनता हैा जबकि आपको मारा नहीं हैा वैसे ही भले ही जेएनयु के छात्रो ने देश के टुकड़े अभी नहीं किये हो, लेकिन उनकी मनसा तो उन नारों से साफ हो जाती हैा
जेएनयु कई सालो से डाबेरियो का गढ़ रहा हैा यह पूरा मामला देखे तो यही लगता है की लेफ्ट पार्टीस को देश से ज्यादा अपनी विचारधारा ज्यादा जरुरी लगती हैा नहीं तो यह बवाल होता ही नहींा
जब जब इस देश में राईट विंग की सरकार बनती है तब तब एसा माहोल बनाया जाता है जैसे मानो आसमान गिर पड़ा होालेफ्ट विंग की सबसे बड़ी कमजोरी यही है की, वो सोचते है की उसकी सोच ही सही है, बाकि सब तो बस अवसरवादी हैा
जो लोग यह बोल रहे है न की भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं है, उनको कुछ दिनों के लिए नार्थ कोरिया हो आना चाहिएा भारत में आप जो चाहे बोलो पर प्लीज़ मेरी मा के तुकडे करने की बात मत बोलोा हो सकता है की आज आप की विचारधारा पूरी दुनिया के बारे में सोचती हो इसी लिए अफजल आपको प्यारा लगता होा और सायद आप कल से पुरे ब्रम्हांड की चिंता में लग जाए, पर मुझे जिस मिटटी ने पाल-पोश कर बड़ा किया हो उसकी जयकार आप नहीं कर सकते तो ठीक है पर उस पर हाय हाय भी हम नहीं सुन सकतेा
देश को अभी काफी कुछ आगे बढ़ाना है, एसी घटिया सोच इन्हें रोक रही है और अफजल की जयकार कई सारे आतंकी को पोश रही हैा
हमारे लिए यह सरम की बात है की तथाकथित बुधिजिवियो को सिर्फ बोलने की आज़ादी तो दिखाइ दे रही है पर उस रात लगे वो देश द्रोह के नारे नहीं दिख रहेा
अंत में बस इतना कह सकते है, समुद्र मंथन चल रहा हैा जहर निकल ने दीजिये बाद में सिर्फ अमृत ही बचेगा ।
जय हिन्द । वन्दे मातरम।