Sunday, July 12, 2015

Mission of Mosad

बस कुछ दिनों पहले की ही बात है। Pakistan के रक्षा मंत्री खवाजा आसिफ का बयान आया की वो nuclear weapons का कभी भी इस्तेमाल कर सकते है। 'मरता क्या नहीं करता?' इस उक्ति को वो यथार्थ ठहरा रहे है। हमें सचेत रहने की जरुरत है, क्यों की उनका निशाना हिंदुस्तान की तरफ ही था।
यु तो हमें काफी पहले ही Pakistan के nuclear program पे लगाम लगाने की जरुरत थी। तो फिर हमें ऐसे बयान सुनने की नोबत नहीं आती। पर क्या ये संभव है? हा, बिलकुल संभव है। दुश्मन को जन्म से पहेले ही दफना देना कोई Israel से सीखे! चलो पुरे सिलसिलेवार तरीके से जानते है पूरी कहानी।
ये पूरी कहानी Israel के उन पराक्रमो की है, जिसकी वजह से Iran अभी तक nuclear weapons नहीं बना पाया। साल 1988 से सुरु हुआ उसका सपना आज 2015 में भी बस एक ख्वाब ही है।
Iran को nuclear weapons बनाने की जरुरत क्यों पड़ी? उसका जवाब है साल 1980 में सुरु हुआ Iran-Iraq war। जो करीब 8 साल तक चला। लाखो लोग और सिपाही दोनों ओर से मारे गए। पर Iran को नुकसान ज्यादा हुआ था, क्योकि सदाम हुसेन की सेना ने रासायनिक हथियारों का इस्तमाल किया था।
उस समय तक nuclear weapons को इस्लाम विरोधी मानने वाले और परोक्ष तरीके से Iran में शासन चलाने वाले Ayatollah khomeini को लगा की दुश्मन को डराने के लिए nuclear weapons आवश्यक है। ये साल था 1988। उसी साल आयातोल्लाह ने फतवा जारी करके कहा की nuclear weapons को इस्लाम विरोधी नहीं माना जायेगा।
उसके ठीक एक साल बाद Ayatollah की सन् 1989 में मोत हो गई। और यही वो साल था जब साम्यवाद के अतिरेक के चलते रशिया टूट गया। इसी समय इसारयल की जासूसी संस्था Mossad को खबर मिली की रशिया के बेकार हुए साइंटिस्ट और nuclear weapons पे Iran की नजर है। इसी लिए Israel सचेत हो गया, क्योकि उसे Iran की तरफ से कई बार धमकिया मिल चुकी थी। Iran के लिए अमेरिका और Israel दुश्मनो की सूचि में सबसे ऊपर थे। जाहिर है अगर Iran nuclear weapons बना ले या तो किसी भी तरह से हासिल कर ले तो फिर उसका निशाना इसारयल ही होगा।
उसी कालखंड में दुबई में एक मीटिंग होती है। जिसमे तीन ईरानी और तीन यूरोपीय परमाणु विज्ञानी के आलावा दो पाकिस्तानी भी शामिल थे। यह मीटिंग Iran के nuclear weapons के सपने को एक कदम आगे ले गयी।
उन दो पाकिस्तानी में से एक का नाम था डॉ. अब्दुल कादिर खान। Pakistan के nuclear weapons के पितामह! सौदा यह तय हुआ था की Iran को रुपए के बदले में nuclear weapons की ब्लूप्रिंट दी जाए।
nuclear weapons में इस्तमाल के लिए Uranium-235 की जरुरत होती है। Uranium-235 दुर्लभ है और इसे Uranium-238 में से बनाया जा सकता है। कुदरत से मिलने वाला Uranium-238 का Uranium-235 में रूपांतर करने के लिए जो चीज इस्तमाल होती है उसे centrifuge कहते है। centrifuge नलाकार आकार में होता है। जिसकी भीतर की धरी प्रति मिनिट लगभग 100000 चक्कर लगा के केंद्रत्यागी बल पैदा करते है। जिससे वजन में भारी Uranium-238 और Uranium-235 अलग हो जाते है।
ये centrifuge की ब्लूप्रिंट डॉ. खान ने उस वक्त चुराई थी, जब वो यूरोपियन कंपनी यूरेको में 70 के दसक में काम करते थे। इसी के बल पर डॉ. खान ने Pakistan को परमाणु ताकत वाला देश बनाया था।
Iran nuclear weapons बनाने की कोशिश में लगा हुआ था और Israel अपने देश के दुश्मन की इस मुराद को पूरी होने देना नहीं चाहता था। इसी लिए उसने पहला काम उन लोगो को काम तमाम करने का किया जो Iran के nuclear program से जुड़े हुए थे।
तारीख थी 23 नवम्बर, 2010 और सुबह का समय था। Iran की राजधानी Tehran में डॉ. मजीद शहरयारी अपनी कार में जा रहे थे। साथ में उनकी पत्नी भी बेठी थी। उसी वक्त पीछे से मोटरबाइक पे हेल्मेट पहने एक सवार कार के पास पहोंच कर, कार की विंडसिल्ड में कुछ लगा देता है। बस थोड़ी देर बाद एक बहोत बड़ा धमाका होता है और डॉ. मजीद की मौके पे ही मोत हो जाती है। उनकी पत्नी बुरी तरह से घायल हो जाती है। डॉ. मजीद Iran के सूचित nuclear weapons के गुप्त कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।
बिलकुल इसी तरीके से एक और विज्ञानी डॉ. फेरेदुन अब्बासी को भी कार में बम लगा के मार ने की कोशिश की, लेकिन हो घायल होने के बावजूद बच गए। बाद में उसे Iran का उपप्रमुख भी बनाया गया।
साल 2006, जनवरी में एक पैसेंजर जेट विमान टूट कर गिर गया। उसमे बेठे सारे लोगो की मौत हो गयी। मरने वालो में रिवोल्युसनरि गार्ड के नाम से जाने जनि वाली टुकड़ी के कई सदस्य भी शामिल थे। ये टुकड़ी Iran के nuclear program का कामकाज देखती थी।
इसी साल और दूसरा एक मिलिटरी विमान टूट के गिर गया। उसे आसमान में चढ़े अभी बस कुछ ही मिनिट्स हुयी होगी। उसमे रिवोल्युसनरि गार्ड के 36 जवान मारे गए।
ये सारे पराक्रम Israel की जासूसी एजंसी Mossad के Secret agents के थे। जो कभी पकड़े नहीं गए।
दूसरी और Mossad ने उन देशो में अपनी फर्जी कंपनिया कड़ी कर दी जहा से Iran ब्लैक में nuclear weapons के लिए पुर्जे खरीद रहे थे। और बाद में ऐसे माल की सप्लाई करते की कभी Iran का प्लांट चल ही न पाए।
अप्रैल 2006 के साल में Iran के नातन्झ की घटना है। एक भूगर्भ संकुल में परमाणु विज्ञानी, रिवोल्युसनरि गार्ड के अफसर और कुछ टेक्नीशियन इकठा हुए थे। सब लोग खुश थे क्यों की हजारो की संख्या में रखा हुआ centrifuge का नेटवर्क आज कार्यान्वित होने वाला था। और इस से nuclear weapons के लिए आवश्यक Uranium-235 मिलने वाला था।
जब वहां के चीफ इंजीनियर ने बटन दबाया तो दूसरे ही पल वहा जोर से धमाका हुआ और पुरे centrifuge के प्रोजेक्ट को कबाड़ बना कर रख दिया। इसके चलते अब Iran को Uranium-235 के लिए सरू से सरुआत करने की नोबत आई। इस घटना से पता चलता है की Mossad के जासूस कहा कहा पहोंच सकते है।
Mossad का अगला मिशन तो और भी सनसनीखेज़ था। नातान्झ में हजारो centrifuge का अंडरग्राउंड एकम था जो की साल 2006 में धमाके में तबाह हो चूका था। उस यूनिट को फिर से हजारो centrifuge से बनाया गया था। यहाँ के हजारो centrifuge अपना काम दिन रात कर रहे थे। इन सब centrifuge का नियमन सीमेन्स कंपनी द्वारा बनाया गया कंट्रोल यूनिट कर रहा था। इस कंट्रोल यूनिट का काम centrifuge की गति और उसको मिल रहे पवार सप्लाय का नियमन और नियंत्रण करना था।
इसी कंट्रोल यूनिट को अपना निशाना बनाने के लिए Israel ने एक कम्प्यूटर वायरस बनाया और नाम दिया Stuxnet. ये वायरस इस तरह से बनाया गया था की ये सिर्फ centrifuge के कंट्रोल यूनिट को ही टारगेट करे, ताकि ये बिच में आने वाले कंप्यूटर के एंटीवायरस की नजरो में न आ सके।
कंट्रोल यूनिट का काम हर एक मिली सेकंड का हिसाब रखना था। जेसे ही Stuxnet ने अपना काम सुरु किया तो सबसे पहले उसने centrifuge की गति बढ़ा दी ताकि उसके पुरजे बर्बाद हो जाये और पता भी न चले। थोड़ी देर ये काम करने के बाद अचानक से ये वायरस सुषुप्त हो गया। ठीक 27 दिन बाद ये वायरस फिर से जागा और centrifuge की गति इस बार कम कर दी।
Stuxnet ने ऐसा कई बार किया। जिसका परिणाम ये आया की उस यूनिट के लगभग एक हजार centrifuge बिलकुल बेकार हो गए।
इसारयल के लिए ये सब करना जरुरी है क्यों की उसके अस्तित्व का सवाल है। उत्तर से पश्चिम के हिसाब से 420 किलोमीटर और पश्चिम से पूर्व के हिसाब से 110 किलोमीटर का विस्तार ही Israel के पास है। जाहिर है सिर्फ एक nuclear weapons ही काफी है पुरे देश को तबाह करने के लिए। इसी लीए पुरे जी जान से Mossad जुट हुआ है Iran को परमाणु शक्ति बनने से रोकने के लिए। इसी लिए आज की तारीख तक Iran nuclear weapons नहीं बना पाया, जिसका सपना Iran ने साल 1988 में देखा था।

1 comment :

  1. this article is really good give a lot of insight about mossad. also [in stuxnet america was also involved in implanting that malware and it was a first scada malware created. and also it was injected through a USB flash drive.

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